RamRajya

क्रांति Revolution ?

प्रभु श्री राम जिनका स्मरण मात्र हमारी ऊर्जाओं को तत्क्षण उच्चतम स्तर पर ले आता है जो हमें अपने लक्ष्य की ओर अधिक तीव्रता से अग्रेषित करने की क्षमता देता है।

हम सौभाग्यशाली है की उनका जन्मस्थान भव्य श्री राम मंदिर के रूप में सुशोभित होगा और हम सभी उसके साक्षी होंगे।

रामराज्य एक अद्वितीय, अलौकिक और अद्भुत संरचना है ,यह परिचायक है एक ऐसे राष्ट्र एक ऐसे समाज का

जहाँ व्यक्ति विशेष में कोई भेदभाव न हो।

जहाँ राग, द्वेष और ईर्ष्या न हो।

हर किसी को अपने कर्तव्य का बोध हो और सभी को समान अधिकार प्राप्त हो।

जीवन जीने के सभी को समान अवसर मिले और संसाधनों पर सभी का समान अधिकार हो।

भारत के राष्ट्रपति से लेकर आम नागरिक तक सभी को समानता का अहसास होना चाहिए ..... इसे और विस्तृत रूप से समझना होगा

योग्यता और समानता में अंतर है और वह हमेशा रहेगा लेकिन किसी ओर का अधिकार छिन कर किसी ओर को प्राप्त होना ही राम राज्य के विरुद्ध है

एक समय होगा जब हम इस डिजिटल भारत का उपयोग करके हर भारतीय नागरिक के डाटा को इस तरह सेट कर पाएंगे की वह स्वतः अपने अधिकार और कर्त्तव्य का अकाउंट देख और समझ सके

इसे इस तरह से समझे जैसे कुछ समय पूर्व गल्ती से कोई यदि किसी कानून का उल्लंघन कर देता था तो उसे तत्काल अर्थ दंड भरना ही होता था और अभी भी यही स्थिति है लेकिन जब बात आपके रिफंड की या किसी सब्सिडी की होती थी तो हमें महीनो सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने होते थे जो की अब सीधे आपके अकाउंट में जमा हो जाता है इस अंतर को हम समझ रहे लेकिन महसूस वही कर सकता है जिसने उस पीड़ा को भोगा है

अब दूसरा पहलु समझना होगा की जैसे बैंक के लिए सिबिल स्कोर जितना अहम् है उतना और वैसा ही राम राज्य के प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तिगत स्कोर उसके प्रति किसी निर्धारण को तय करें न की कोई व्यक्ति इसका निर्धारण करें की कौन वीआईपी है और कौन गैर महत्वपूर्ण है।

इस अद्भुत संरचना को हम प्रोफेशन से जुड़े वयक्ति आसानी से समझ सकते है :

आयकर विभाग की फेसलेस व्यवस्था यदि उचित और निष्पक्ष तरीके से व्यावहारिक तौर पर कार्य करे तो यही रामराज्य की और बढ़ता हुआ कदम होगा।

एक आधार कार्ड या पेनकार्ड या वोटर आईडी कार्ड किसी भी व्यक्ति विशेष में कोई अंतर प्रदर्शित नहीं करता और उससे जुड़े सभी कर्त्वय और अधिकार यदि सभी को समान रूप से मिलने लगे तो यह भी रामराज्य की शुरुआत ही है !

लेकिन सिर्फ इतना भर हो जाना रामराज्य को स्थापित नहीं कर सकता क्यों ?

परदे के पीछे और भी फेक्टर्स इसे उसी तरह से निर्धारित करने से रोकते है !

Thanks to this Beautiful Image

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धर्म

धर्म मोक्ष का मार्ग है

और मोक्ष क्या है ,इसकी क्या आवश्यकता है यही जानना अत्यंत आवश्यक है

जब तक आवश्यकता नहीं होगी आविष्कार भी नहीं होगा उपयोग और उपभोग तो बहुत दूर की बात है

हम टीवी पर बहुत से विज्ञापन देखते है जो प्रथम बार हमारे लिए गैर जरुरी और अनावश्यक होते है लेकिन बार बार उन्हें देखा कर हमारा अन्तःमन उन्हें अपने डेटाबेस में जगह दे देता है और फिर हमारा मस्तिष्क उसकी जरुरत को हमारी आवश्यकताओं से जोड़ने लगता है और अंततः हम उस प्रोडक्ट को खरीद लेते है

यह इस प्रकार था की आविष्कार किया ,आवश्यकता उत्पन्न की गयी और उपभोग करवा दिया गया।

एक अनुपयोगी उत्पाद को हम आवश्यक समझ कर उपभोग करने लगते है क्योंकि हम उसे हमारे दैनिक जीवन में सहयोगी मान लेते है।

मोक्ष भी एक प्रोडक्ट है लेकिन कोई भी उसका विज्ञापन नहीं करना चाहता और जो कर रहे है वो उनका अपना प्रोडक्ट बेच रहे है

हम जिस आराध्य की पूजा करते है जिनके सामने अपना शीश झुकाते है उन्ही देव को एक प्रोडक्ट के रैपर में लपेट कर ठोकर और गंदगी के सुपुर्द कर देते है।

हम उन प्रोडक्ट को नहीं खरीद रहे होते है अपितु अपने आराध्य का अपमान स्वयं मूल्य देकर खरीद रहे होते है आश्चर्य !!!